जीवन में कभी बिल्ली मत पालना


एक बार की बात है हिमालय की जंगलों में एक साधु अपने शिष्य के साथ रहता थे। जब साधु का अंतिम समय आया तो उन्होंने अपने शिष्य को बुला कर कहा कि बेटा अगर जीवन में तुम्हें अपने लक्ष्य को पाना है तो कभी भी बिल्ली मत पालना यही जीवन में सफलता का रहस्य है शिष्य को साधु की बात समझ नहीं आई उसने सोचा कि शायद बुढ़ापे में गुरुजी का दिमाग खराब हो गया है भला मैं बिल्ली क्यों पा लूंगा थोड़ी दिनों बाद शिष्य साधु की बिल्ली वाली बात भूल गया और अपने गुरु जी की की कुटिया में तपस्या और साधना कर रहा था और जिंदगी मजे से गुजर रही थी लेकिन कुछ दिनों बाद कुछ समस्या खड़ी हो गई जहां वो रहता था वहां चूहे बहुत रहते थे और उसके फल सब्जियों और उसके कपड़े  तक को कुतर जाते थे जिसके कारण वह बहुत परेशान रहने लगा एक दिन फांसी के गांव के एक बुजुर्ग ने उसे सलाह दी चूहों से बचने के लिए एक बिल्ली पाल ले तो उसकी सारी समस्या खत्म हो जाएगी शिष्य को बुजुर्ग की आवाज पसंद आई और उसने बिल्ली पाल लेे कुछ दिनों बाद चूहे तो नहीं रहे लेकिन बिल्ली के लिए भिक्षा में अब शिष्य को दूध भी मांगना पड़ता था और गांव के लोग दूध देने में कतराते थे अब बिल्ली शिष्य के लिए एक समस्या बन गई और उसका सारा ध्यान बिल्ली में ही लगा रहता था फिर उसे एक और बुजुर्ग ने सलाह दी की अच्छा होता की तुम एक गाय पाल लेते यहां आस पास चारा बहुत है कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी गाय चारा खुद ही खा लेगी और रोज तुम उसका दूध निकाल कर खुद भी पीना और बिल्ली को भी पिलाना और बच्चे समय में निश्चिंत होकर तप और ध्यान करना इस बार भी शिष्य को बुजुर्ग की गाय पालने वाली सलाह पसंद आ गई और उसने एक गाय पाल ली शिष्य ने गाय तो ले आया लेकिन उसका सारा समय गोबर हटाने और साफ-सफाई में निकल जाता थोड़ी दिनों बाद गाय को एक बछड़ा हो गया अब शिष्य को और भी फुर्सत नहीं मिलती थी अब शिष्य को तब और ध्यान के लिए वक्त ही नहीं मिलता उसका सारा समय गाय और दिल्ली में ही निकल जाता थाा

फिर 1 दिन शिष्य को एक और बुजुर्ग ने सलाह दी कि यदि तुम शादी कर लोगे तो यह तुम्हारी सारी समस्या खत्म हो जाएगी बिल्ली गाय बछड़े सभी को पत्नी संभाल लेगी और तुम्हें भिक्षा भी नहीं मांगने जाना पड़ेगा दिन भर फुर्सत ही फुर्सत और तुम मुझे सिर्फ ध्यान और तप करना हर बार की तरह इस बार भी शिष्य को इस बुजुर्ग की बात पसंद आई